परिचय :—
पुराण हिंदू परंपरा के भीतर आवश्यक ग्रंथ हैं, जो पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक कथाओं का एक व्यापक संकलन प्रदान करता हैं । यह संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है प्राचीन या पुराना कहानी – कथा । यह भारतीय संस्कृति के प्राण है कोई भी व्यक्ति इसे झुठला नहीं सकता है । यह वस्तुतः वेदों का विस्तार है ।
पुराण मनुष्य के कर्मों का विश्लेषण करती है और उन्हें दुष्कर्म करने से रोकते हैं । महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा कलयुग में मनुष्यों को कल्याण करने के लिए इसकी की रचना की गई है ।

सर्वप्रथम वेदव्यास जी ने अपने पुत्र सुखदेव मुनि जी को इसके बारे में बताए थे। जगत में कौन ऐसा पुरुष है जो इस अद्भुत कथा को सुनकर कली के भय से मुक्त ना हो जाए । जिन्हें कान है और जो सुनने के स्वाद से भी परिचित हैं वे मनुष्य यदि इसे नहीं सुनते तो वह दुर्भाग्य की बात है अज्ञानी जनों का समय विषय चिंतन में और विद्वानों का समय शास्त्र अवलोकन में बीत जाता है ।
इसका का नाम सुनने से ही मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है । यह प्राचीन भारतीय साहित्य की एक व्यापक शैली, पौराणिक कथाओं, धार्मिक शिक्षाओं और ऐतिहासिक इतिहास का एक अमूल्य भंडार है। संस्कृत में रचित, ये ग्रंथ हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिकता की आधारशिला हैं, जो ब्रह्मांड विज्ञान, दर्शन और देवताओं और महान नायकों के जीवन में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
इसमें सम्राटों व राजाओं के वंशों व कार्यों, उनके उत्थान-पतन, उनकी उपलब्धियों व भूलों की अर्थगर्भित कहानियां हैं तथा भूगोल, खगोल, ज्योतिष, सामुद्रिक, स्थापत्य, व्याकरण, छंद विज्ञान, आयुर्वेद, प्रेत-कल्प, अध्यात्म, ब्रह्मविद्या आदि अनेकानेक विषयों के अवलोकन, चिंतन व कल्पना पर आधारित अद्भुत विवरण हैं।
परंपरागत रूप से ऋषि व्यास को जिम्मेदार ठहराते हुए, पुराणों को अठारह प्रमुख ग्रंथों में विभाजित किया गया है, प्रत्येक दैवीय और मानव अस्तित्व का मार्गदर्शन करने वाले नैतिक सिद्धांतों पर एक अद्वितीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। अपनी समृद्ध कहानी कहने और गहन ज्ञान के लिए सम्मानित, पुराण अपने शाश्वत विषयों और शिक्षाओं के माध्यम से अतीत और वर्तमान को जोड़ते हुए, भक्तों और विद्वानों को समान रूप से प्रेरित और शिक्षित करते रहते हैं।
इसमें में सृष्टि के सृजन से उसके अंत तक का वर्णन है। यह मनुष्य का जीवन परिवर्तित कर सकती है क्योंकि इसमें भूत, भविष्य, वर्तमान दिखता है। यह मानव के लिए एक दर्पण का कार्य करती हैं जिसकी सहायता से मनुष्य अपने अतीत से सीखकर अपने वर्तमान में अच्छे कार्य कर सकता है जिससे भविष्य उज्जवल हो जाता है।
प्राचीन पुराण में कुल पांच लक्षण पाए जाते है सृष्टि, प्रलय व पुनर्जन्म, चौदह मनु के काल, सूर्य चन्द्रादि वंशीय चरित आदि है। यह सरल एवं व्यवहारिक भाषा में लिखे गए गृह है।
हिंदू धर्म में 18 पुराण है । जिनके नाम एवं श्लोको की संख्या निम्न है :—
पुराण
- मत्स्य पुराण — 14000 श्लोक
- मार्कण्डेय। — 9000 श्लोक
- भविष्य। —14500 श्लोक
- भागवत। — 18000 श्लोक
- ब्रह्म — 10000 श्लोक
- ब्रम्हांड। — 12100 श्लोक
- ब्रम्हवेवर्त — 18100 श्लोक
- वामन — 10000 श्लोक
- वायु — 24600 श्लोक
- विष्णु — 23000 श्लोक
- वाराह —24000 श्लोक
- अग्नि। — 16000 श्लोक
- नारद — 25000 श्लोक
- पद्म — 55000 श्लोक
- लिंग — 11000 श्लोक
- गरुड़ — 19000 श्लोक
- कूर्म — 17000 श्लोक
- स्कंद — 81000 श्लोक
हिंदू धर्म में कितने पुराण है ?
हिंदू धर्म में 18 पुराण है ।
पुराण को किसने लिखा है ?
महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा पुराण की रचना की गई है ।
पापों से मुक्त कैसे हो सकते है ?
पुराण का नाम सुनने से ही मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है ।
पुराण क्यों लिखा गया है ?
कलियुग में मनुष्यों को कल्याण करने के लिए रचना की गई है ।