वृद्ध लोगो के लिए चार जरूरी बाते

  • वृद्ध लोगो को आज के कलियुग समय में वृद्ध लोगों को उचित सम्मान और देखभाल नहीं मिलती है। उन्हें परिवार और समाज पर बोझ के रूप में देखा जाता है और उनकी देखभाल की उपेक्षा की जाती है। आज के समय में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपने बूढ़े मां-बाप को वृद्धा आश्रम में छोड़ आते हैं।


वृद्घावस्था में सबसे पहली समस्या है स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, जो वृद्ध लोगों को ठीक से देखभाल नहीं मिलती है। दूसरी समस्या है समाज में उनके साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार की कमी, जिससे वे अपने अनुभवों और समझ को साझा करने में हिचकिचाहट महसूस करते है। तीसरी समस्या है आर्थिक समर्थन की कमी, जिससे कई वृद्ध लोग स्वावलंबी नहीं हो पाते है ।


वृद्धावस्था में स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए पौष्टिक आहार भोजन ले । धूम्रपान और शराब का सेवन न करें । नियमित रूप से व्यायाम करना जरूरी है। मानसिक रूप से खुशहाल रहे । और मां दुर्गा का ध्यान करे ।

वृद्ध लोगो के लिए जरूरी चार बाते
बूढ़े लोगों की सेवा करना परम धर्म है।
  • प्रख्यात संत स्वामी अखंडानंद सरस्वती जी महाराज के पास एक वृद्ध सज्जन पहुंचे । वे कुछ माह पूर्व ही सेवानिवृत हुए थे । घर में बैठे-बैठे उन्होंने अनुभव किया कि पुत्र, पुत्र वधू आदि उनकी उपेक्षा करने लगे हैं । उन्होंने स्वामी जी से प्रार्थना की , महाराज ! आप मुझे ऐसे बात बताने की कृपा करें कि मैं अपना शेष जीवन परिवार में रहते हुए,  प्रभु की भक्ति करते हुए सम्मानजनक ढंग से बिता सकूं। स्वामी जी मुस्कुराए और बोले – ” मैं आपको चार बातें बताता हूं। उनका पालन करोगे, तो परिवार में प्रिय बने रहोगे ।

वृद्धावस्था में निकम्मा बनकर नहीं रहना चाहिए। जितना सामर्थ्य हो –जितना बन पड़े उतना कोई ना कोई कार्य अवश्य करते रहिए। जिससे सभी आपकी उपयोगिता समझे। कम— से —कम बोलिए।  ज्यादा बोलने से शक्ति और बुद्धि दोनों छिन्न होती है।  बिना मांगे सलाह मत दीजिए । चौथी बात है कि सहने की आदत डालिए । सहते चलिए । सहनशीलता ही परिवारों को साथ रखने का प्रमुख माध्यम है।  वृद्ध ने तत्काल इन चारों बातों का पालन करने का संकल्प लिया और अपने घर चले गए।


हम सामान्यत: आयु में बड़े व्यक्ति को वृद्ध कहते हैं। शास्त्रों में कई प्रकार के वृद्ध बताए गए हैं। जैसे धन वृद्ध, बल वृद्ध, आयु वृद्ध, कर्म वृद्ध और ज्ञान वृद्ध या विद्या वृद्ध । आधुनिकता की चकाचौंध और भौतिकता के चलते वृद्धों को रूढि़वादी, अशक्त समझकर उनका तिरस्कार करने से समाज की हानि है क्योंकि उनके अनुभव का कोई लाभ हमें नहीं मिल सकेगा। सत्य सनातन परंपराओं के निर्वाह और अनुकरण से ही संस्कृति का निर्माण होता है।

हमें चाहिए कि अपनी इस विरासत को बचाएं और वृद्धजनों का सदा सत्कार करें। बुढ़ापा बहुत कठिन होता है। इसमें ऐसा भी महसूस हो सकता है जैसे कई दशकों में बनाया गया नियंत्रण और स्वतंत्रता सभी पलक झपकते ही खत्म हो गया हैं। कई वृद्ध लोगों को तो बच्चों जैसी स्थिति हो जाती है उस लौटने के कारण भावनात्मक समायोजन और समझौते करने पड़ते हैं जिसमें उन्हें छोटे-छोटे सरल कार्यों के लिए भी लगातार मदद माँगनी पड़ती है। यह समय अकेलेपन से भरा, शर्मनाक, भयावह और अक्सर पूरी तरह से अनुचित लगता है।

जय माता दी

  1. वृद्ध लोगो को घर में कैसे रहना चाहिए ?

    वृद्धावस्था में निकम्मा बनकर नहीं रहना चाहिए। जितना सामर्थ्य हो –जितना बन पड़े उतना कोई ना कोई कार्य अवश्य करते रहिए। जिससे सभी आपकी उपयोगिता समझे। कम— से —कम बोलिए।  ज्यादा बोलने से शक्ति और बुद्धि दोनों छिन्न होती है।  बिना मांगे सलाह मत दीजिए । चौथी बात है कि सहने की आदत डालिए । सहते चलिए । सहनशीलता ही परिवारों को साथ रखने का प्रमुख माध्यम है। 

  2. वृद्धावस्था में स्वास्थ्य को कैसे ठीक रखे ?

    वृद्धावस्था में स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए पौष्टिक आहार भोजन ले । धूम्रपान और शराब का सेवन न करें । नियमित रूप से व्यायाम करना जरूरी है। मानसिक रूप से खुशहाल रहे । और मां दुर्गा का ध्यान करे ।

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