श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर का परिचय
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर का इतिहास : श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले में स्थित है। इस मंदिर को श्रीरंगम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। श्रीरंगम मंदिर का वास्तुशिल्प, धार्मिक महत्ता, और पौराणिक इतिहास इसे दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक बनाते हैं। यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और इसे दक्षिण भारत के सबसे बड़े और सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है।
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर का इतिहास:
श्रीरंगम मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है इसकी स्थापना के समय के बारे में विभिन्न मत हैं, लेकिन यह माना जाता है कि इसका निर्माण चोल, पांड्य और विजयनगर साम्राज्य के समय में हुआ था। यह मंदिर हिंदू धर्म के दिव्यधामों में से एक है। इस मंदिर का उल्लेख प्राचीन तमिल साहित्य में भी मिलता है, जो इसकी पौराणिक और ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाता है।

पौराणिक कथा:
मंदिर की स्थापना से जुड़ी एक प्राचीन कथा है, जिसमें कहा गया है कि भगवान विष्णु ने स्वयं श्रीरंगम में निवास किया था। माना जाता है कि इस मंदिर में स्थित रंगनाथस्वामी की मूर्ति को भगवान राम ने विभीषण को भेंट किया था, जो बाद में श्रीरंगम में स्थापित हुई।
मंदिर की वास्तुकला:
श्रीरंगम मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है और इसमें 21 गोपुरम (मुख्य द्वार) शामिल हैं। इनमें से सबसे प्रमुख राजगोपुरम है, जो लगभग 236 फीट ऊंचा है। मंदिर का परिसर लगभग 156 एकड़ में फैला हुआ है, जो इसे विश्व के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक बनाता है।
मंदिर में आयोजित उत्सव:
श्रीरंगम मंदिर में हर साल विभिन्न धार्मिक उत्सव मनाए जाते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख ‘वैश्वा वैकुंठ एकादशी’ और ‘पंगुनी उत्तिरम’ हैं। यहां हर साल लाखो श्रद्धालु दर्शन पूजा करने आते है।
निष्कर्ष:
श्रीरंगम का श्री रंगनाथस्वामी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण प्रतीक भी है। इस मंदिर का इतिहास, वास्तुकला, और धार्मिक महत्व इसे विश्व के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बनाते हैं।
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर कहां स्थित है?
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर तमिलनाडु राज्य के तिरुचिरापल्ली जिले के श्रीरंगम द्वीप पर स्थित है। यह मंदिर कावेरी नदी के बीच स्थित है और हिंदू धर्म के वैष्णव संप्रदाय के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है।
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर का निर्माण कब हुआ था?
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर का निर्माण इतिहास में विभिन्न राजवंशों के शासनकाल के दौरान किया गया। इसके शुरुआती निर्माण का श्रेय चोल राजवंश को दिया जाता है, लेकिन इसका वर्तमान स्वरूप मुख्य रूप से 13वीं और 17वीं शताब्दी के बीच विकसित हुआ।
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर दक्षिण भारत के 108 दिव्यदेशमों में से एक है, जो कि वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थलों में गिने जाते हैं। इस मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक है और इसे ‘भूलोक वैकुंठ’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है पृथ्वी पर स्वर्ग।
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर में कौन-कौन से प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं?
मंदिर में सबसे प्रमुख त्योहार ‘वैकुंठ एकादशी’ है, जो कि लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। इसके अलावा, ‘पंगल’ और ‘रथ उत्सव’ भी बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर से जुड़ी प्रमुख मान्यताएं क्या हैं?
मान्यता है कि यह मंदिर स्वयं भगवान विष्णु के आशीर्वाद से अस्तित्व में आया और यहां पूजा करने से भक्तों को मोक्ष प्राप्त होता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में भगवान राम ने भी पूजा की थी।
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर के दर्शन का सबसे अच्छा समय क्या है?
मंदिर के दर्शन का सबसे अच्छा समय ठंड के मौसम में, नवंबर से फरवरी के बीच होता है। इस समय मौसम सुहावना रहता है और प्रमुख त्योहार भी इसी अवधि में होते हैं।
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर के पास रहने और खाने की क्या व्यवस्था है?
मंदिर के पास कई धर्मशालाएं और होटलों की व्यवस्था है, जो सभी बजट के अनुसार उपलब्ध हैं। खाने के लिए आसपास के क्षेत्रों में स्थानीय दक्षिण भारतीय भोजन की सुविधा भी उपलब्ध है।