ध्यान साधना क्या है ? इसे कैसे करे और करने से क्या लाभ है ?

  • ध्यान साधन एक अभ्यास है – मन की विचारों और शरीर के एक्टिविटी को केंद्रित करना ही ध्यान है। हिंदू धर्म में इसको आत्मज्ञान प्राप्त करने का एक साधन माना जाता है इसे साधना भी कहते हैं।


ध्यान साधना का स्वरूप –:


हमारे मन में एक साथ असंख्य कल्पना और विचार चलते रहते हैं। इससे मन-मस्तिष्क में कोलाहल-सा बना रहता है। हम नहीं चाहते हैं फिर भी यह चलता रहता है। आप लगातार सोच-सोचकर स्वयं को कम और कमजोर करते जा रहे हैं। ध्यान अनावश्यक कल्पना व विचारों को मन से हटाकर शुद्ध और निर्मल मौन में चले जाना है।


हम सो कर उठते हैं और हमारे दिमाग में लगातार कुछ ना कुछ विचार चलने शुरू हो जाते हैं हमारा शरीर एक्टिव रहता है पर 90% हिस्सा बिफोर के विचारों में लगा हुआ रहता है। आप देखेंगे जब हम खाना  खाने बैठते हैं तो हमारा कुछ हिस्सा खाना खाने में लगा रहता है। पर 90% हिस्सा इधर से उधर भटकता रहता है जैसे वहां नहीं गए वह बुलाया था, उससे मिलना है ,ऑफिस में वह आया होगा कि नहीं, गाड़ी से घूमने जाएंगे , बॉस को कैसे खुश करें, प्रॉपर्टी का मालिक कैसे बने, आदि– आदि तरह-तरह के विचार हमारे दिमाग में आता रहता है।

पर हम खाना खाते समय यह कभी नहीं सोचते कि खाना की खुशबू कैसी है, स्वाद कैसा है, रंग कैसा है और यही अशांति के कारण तरह-तरह के पेट में बीमारी होता रहता है। क्योंकि हम खाना नहीं लोभ, लालच और वासना को खा रहे हैं।


ध्यान साधना का अर्थ है होश में आना या सचेत हो जाना अपने कर्म और विचार से । यह जैसे-जैसे गहराता है व्यक्ति साक्षी भाव में स्थित होने लगता है। उस पर किसी भी भाव, कल्पना और विचारों का क्षण मात्र भी प्रभाव नहीं पड़ता। मन और मस्तिष्क का मौन हो जाना ही इसका प्राथमिक स्वरूप है। विचार, कल्पना और अतीत के सुख-दुख में जीना इसके विरूद्ध है।


ध्यान साधना कैसे करें:—


यह किसी भी शांत जगह रीड की हड्डी सीधा कर शांत भाव से बैठ कर शुरुआत कर सकते हैं। हम जानते है की इसे लगाना इस दुनिया के कठिन से कठिन कामों में से एक है पर इसको रेगुलर प्रेक्टिस करने पर इसको कंट्रोल किया जा सकता है।
  1. आप कोई भी काम करते हैं तो उसे पूरा कंसंट्रेट से करें। ध्यान दें कहीं आपका दिमाग कुछ और तो नहीं सोच रहा है।
  2. सरल जीवन शैली का पालन करें।
  3. मेरुदंड सीधा कर किसी शांत जगह पर स्वच्छ आसन लगाकर बैठ जाए ।
  4. प्रार्थना से शुरुआत करें।
  5. शरीर की हलचलों को नजर नजर अंदाज करें ।
  6. अपने दिमाग को शांत करें दिमाग में चल रहे विचारों को पकाने की कोशिश करें।
  7. आंख बंद कर अपना ध्यान अपने इष्ट देव गुरुदेव या फिर अपने सांसों पर केंद्रित करें।
  8. अपने शरीर के हर अंग को तनाव मुक्त करें। महसूस करें, कि सांसों के द्वारा आपका सारा तनाव बाहर निकल रहा है।
  9. समय सीमा निर्धारित करें।
  10. नियमित अभ्यास करें।
  11. अपने हृदय की भाषा में ईश्वर से गहन प्रार्थना करें।

ध्यान साधना करने से फायदे :—


1.इससे मन और शरीर की चंचलता,अस्थिरता रूकती है।


2.इससे नर्वसनेस या घबराहट दूर करता है।


3.मेडिटेशन से रचनात्मकता शक्ति बढती है।


4.किसी भी प्रकार की समस्या या तनाव आप पर हावी नहीं होता है।


5.गुस्सा,चिडचिडापन दूर होने से नर्वस सिस्टम शांत रहता है।


6.ये करने से स्वास्थ्य सुधरता है, हृदयगति सामान्य रहती है। और ब्लड प्रेशर काबू में रहता है।


7.ये करने से पढ़ाई में मन लगता है । शारीरिक और मानसिक श्रम की क्षमता बढती है।

8. जीवन में नियम और अनुशासन का पालन बनता है।

9. साधना करने से मानसिक शक्तियों का विकास होता है।

ध्यान की सिद्धि के बाद व्यक्ति अनंत सत्ता का अनुभव कर पाता है, और इसे समाधि कहा जाता है। तमाम गुरुओं और आचार्यों ने इसकी अलग अलग विधियां बताई हैं, पर सबके उद्देश्य एक ही हैं – ईश्वर की अनुभूति करना ।

ध्यान का अर्थ क्या है ?

ध्यान साधना एक अभ्यास है – मन की विचारों और शरीर के एक्टिविटी को केंद्रित करना ही ध्यान है। हिंदू धर्म में ध्यान को आत्मज्ञान प्राप्त करने का एक साधन माना जाता है इसे साधना भी कहते हैं।

साधना किसे कहते है ?

मन की विचारों और शरीर के एक्टिविटी को केंद्रित करना ही ध्यान है। हिंदू धर्म में ध्यान को आत्मज्ञान प्राप्त करने का एक साधन माना जाता है इसे साधना भी कहते हैं।

ध्यान करने से क्या लाभ है ?

ध्यान करने से मन और शरीर की चंचलता और अस्थिरता रुकती है। हृदयगति सामान्य रहती है। पढ़ाई में मन लगता है और मानसिक शक्तियों का विकास होता है।

ध्यान कब और कहा करे ?

ध्यान किसी शांत जगह पर सुबह सुबह को नित्य करे ।

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