आदर्श विद्यार्थी कैसे बने ? सफलता के मंत्र ।

आदर्श विद्यार्थी जीवन सबसे सुंदर और सबसे ज्यादा चुनौती भरा होता है। विद्यार्थियों को समय का सदुपयोग करना चाहिए। यह समय एकाग्रचित होकर अध्ययन और ज्ञान चिंतन का है। विद्यार्थियों के लिए यह जीवन अपने भावी जीवन को ठोस नींव प्रदान करने का सुनहरा अवसर है। यह चरित्र–निर्माण का समय है। यह अपने ज्ञान को सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण समय है।

इस समय जिज्ञासाएं बढ़ने लगती है, ज्ञान–पिपासा तीव्र हो उठती है। बच्चा विद्यालय में प्रवेश लेकर ज्ञानार्जन के लिए उघत हो जाता है। पाठ्य पुस्तकों से उसे लगाव हो जाता है। वह ज्ञान रस का स्वाद लेने लगता है, जो आजीवन उसका पोषण करता रहता है। विद्या–अर्जन की चाह रखने वाला विद्यार्थी जब विनम्रता को धारण करता है, तब उसकी राहें आसान हो जाती है।

विनम्र होकर श्रद्धा भाव से वह गुरु के पास जाता है तो गुरु उसे सहर्ष से विद्यादान देते हैं। वह उसे नीति ज्ञान एवं सामाजिक ज्ञान देते हैं, गणित की उलझने सुलझाते हैं और उसके अंदर विज्ञान की समझ विकसित करते हैं। उसे भाषा का ज्ञान दिया जाता है ताकि वह अपने विचारों को अभिव्यक्त कर सके।


आदर्श विद्यार्थी धैर्य,साहस,ईमानदारी,लग्नशीलता,गुरु भक्ति,स्वाभिमान जैसे गुणों को धारण करता हुआ जीवन पथ पर आगे बढ़ता ही चला जाता है। वह संयमित जीवन जीता है,ताकि विद्या–अर्जन में बाधा उत्पन्न ना हो। विद्या केवल पुस्तकों में नहीं होती। ज्ञान तो झरने के जल की तरह प्रवाहमान रहता है।

विद्यार्थी जीवन इस प्रवाहमान जल को पीते रहने का समय है। खेल का मैदान हो या वार्ता का समय,भ्रमण का अवसर हो या विद्यालय की प्रयोगशाला, ज्ञान सर्वत्र भरा होता है। विद्यार्थी जीवन भांति–भांति के रूपों में बिखरे ज्ञान को समेटने का समय है। स्वास्थ्य संबंधी बातें इसी जीवन में धारण की जाती है।

व्यायाम और खेल से तन को इसी जीवन में पुष्ट कर लिया जाता है। विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई के अलावा भी कोई ऐसा हुनर सिखा जाता है, आवश्यकता पड़ने पर जिसका उपयोग किया जा सके।


विद्यार्थी जीवन में दुर्गुणों से दूरी बना लेनी चाहिए। अच्छी आदतें अपनानी चाहिए।  बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए मधुर वाणी बोलना चाहिए। शारीरिक एवं मानसिक स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पर्यावरण सुधार के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए।


लक्ष्य–प्राप्ति के लिए कड़े परिश्रम, लगन व अटूट आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है। विद्यार्थी जीवन में अच्छे बुरे साथी मिलते हैं। अच्छे मित्रों की संगति में आकर हमेशा अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहना चाहिए। विद्यार्थी जीवन की बुनियाद अनुशासन पर टिकी होती है। इसलिए हर विद्यार्थी को जीवन में अनुशासन को धारण करना चाहिए अनुशासन जीवन हमें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है और बुराइयों से बचाता है।

एक आदर्श विद्यार्थी में यह पांच गुण अवस्य होना चाहिए ……………….
कौवे की तरह जानने की चेष्टा,
बगुले की तरह ध्यान,
कुत्ते की तरह सोना / निंद्रा
अल्पाहारी, आवश्यकतानुसार खाने वाला
और गृह-त्यागी होना चाहिए ।

लक्ष्य प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए ?

लक्ष्य–प्राप्ति के लिए कड़े परिश्रम, लगन व अटूट आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है। विद्यार्थी जीवन में अच्छे बुरे साथी मिलते हैं। अच्छे मित्रों की संगति में आकर हमेशा अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहना चाहिए।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का क्या महत्व है ?

विद्यार्थी जीवन की बुनियाद अनुशासन पर टिकी होती है। इसलिए हर विद्यार्थी को जीवन में अनुशासन को धारण करना चाहिए अनुशासन जीवन हमें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है और बुराइयों से बचाता है।

विद्यार्थियों को व्यायाम करना क्यों जरूरी है ?

व्यायाम और खेल से तन को इसी जीवन में पुष्ट कर लिया जाता है। विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई के अलावा भी कोई ऐसा हुनर सिखा जाता है, आवश्यकता पड़ने पर जिसका उपयोग किया जा सके।

विद्यार्थी जीवन कैसा होना चाहिए ?

विद्यार्थी जीवन सबसे सुंदर और सबसे ज्यादा चुनौती भरा होता है। विद्यार्थियों को समय का सदुपयोग करना चाहिए। यह समय एकाग्रचित होकर अध्ययन और ज्ञान चिंतन का है। विद्यार्थियों के लिए यह जीवन अपने भावी जीवन को ठोस नींव प्रदान करने का सुनहरा अवसर है। यह चरित्र–निर्माण का समय है।

Related Articles

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

11,000FansLike
1,100FollowersFollow
2,980SubscribersSubscribe

Latest Articles