बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर की अद्भुत यात्रा
Baba Baidyanath Dham Deoghar
Baba Baidyanath Dham Deoghar:– झारखंड के देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ के दर्शन के लिए आते हैं। यह एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थल है। सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का विशेष समय होता है। सावन महीने में यहां भव्य मेले का आयोजन होता है।
Baba Baidyanath Dham Deoghar का इतिहास और महत्व
बाबा बैद्यनाथ मंदिर का इतिहास प्राचीनकाल से जुड़ा हुवा है। रावण भगवान शिव का परम् भक्त था और उसने अपनी भक्ति से भगवान शिव को प्रसन्न कर भगवान शिव से शिवलिंग वरदान के रूप में लिया था । रावण शिवलिंग को लंका ले जाने के क्रम में उसे बहुत जोर से लघुशंका लगी तब रावण ने शिवलिंग को बैजू नामक चरवाहे को थमा कर लघुशंका के लिए चला गया।
रावण बहुत देर तक लघुशंका करता रहा तब बैजू ने उस शिवलिंग को वही रख कर चला गया। तब से यह शिवलिंग बाबा बैद्यनाथ धाम से प्रचलित हो गया। ऐसा भी माना जाता है की भगवान राम ने सुल्तानगंज के अजगेबीनाथ स्थित गंगा घाट से गंगाजल कांवर में भरकर देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम पर जलार्पण किए थे।
तभी से सावन में कांवर यात्रा की भी शुरुवात हो गई। लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज स्थित अजगेबीनाथ गंगा घाट से गंगाजल कांवर में भरकर पैदल यात्रा करते हुए बाबा बैद्यनाथ धाम पर जलार्पण करने के लिए आते हैं। बाबा बैद्यनाथ धाम में स्थित शिवलिंग को मनोकामना लिंग भी कहते हैं क्योंकि भक्तों का कहना है कि यहां जो भी मनोकामना लेकर आते हैं वह जरूर पूर्ण हो जाती है।
Baba Baidyanath Dham Deoghar मंदिर की संरचना
मंदिर परिसर बहुत बड़ा है,परिसर के बीच में भगवान शिव का मंदिर और सामने माता पार्वती का मंदिर है। परिसर के चारो और विभिन्न देवी देवता के छोटे-छोटे मंदिर भी हैं। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया है। मुख्य मंदिर का शिखर सोने का बना हुआ है, जो इसे विशेष आकर्षण प्रदान करता है।
Baba Baidyanath Dham Deoghar में श्रावणी मेला
सावन मास में यहाँ का श्रावणी मेला का आयोजन किया जाता है जो विश्व प्रसिद्ध है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु कांवर में गंगा जल भरकर बाबा पर जलार्पण करने पहुंचते है। इस दौरान देवघर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। यह मेला विश्व का सबसे लंबा मेला है। बिहार राज्य के सुल्तानगंज से झारखंड के देवघर, बासुकीनाथ तक केवल केसरिया रंग ही दिखता है। चारों तरफ केवल बोल बम– बोल बम की आवाज गूंजती है।

पूजा और अनुष्ठान
मंदिर में नियमित रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। विशेष रूप से महाशिवरात्रि, सावन के सोमवार और अन्य प्रमुख हिंदू त्योहारों के दौरान यहां विशेष अनुष्ठान आयोजित होते हैं। श्रद्धालु भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, और गंगाजल अर्पित करते हैं।
Baba Baidyanath Dham Deoghar यात्रा और आवास
देवघर पहुँचने के लिए हवाई, रेल और सड़क मार्ग की सुविधाएं उपलब्ध हैं। नजदीकी हवाई अड्डा देवघर एयरपोर्ट है, जो प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। देवघर रेलवे स्टेशन प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। आवास के लिए यहाँ विभिन्न प्रकार के होटल, धर्मशालाएं और लॉज उपलब्ध हैं।
निष्कर्ष
बाबा बैद्यनाथ धाम श्रद्धा और आस्था का केंद्र है। यहाँ की पवित्रता और आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के मन में एक अनोखी शांति और संतोष की अनुभूति कराता है। अगर आप भी भगवान शिव के भक्त हैं, तो बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा आपके जीवन को सार्थक बना सकती है।
बाबा बैद्यनाथ धाम कहाँ स्थित है?
बाबा बैद्यनाथ धाम झारखंड राज्य के देवघर जिले में स्थित है। यह स्थान बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
बाबा बैद्यनाथ धाम का धार्मिक महत्व क्या है?
बाबा बैद्यनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहाँ रावण द्वारा स्थापित शिवलिंग की पूजा की जाती है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है।
श्रावणी मेला क्या है?
श्रावणी मेला सावन के महीने में आयोजित होने वाला एक प्रमुख धार्मिक मेला है, जिसमें लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर देवघर में बाबा बैद्यनाथ को अर्पित करने के लिए कांवर यात्रा करते हैं।
बाबा बैद्यनाथ धाम कैसे पहुँचें?
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा देवघर एयरपोर्ट है।
रेल मार्ग: देवघर रेलवे स्टेशन प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: देवघर सड़क मार्ग से भी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सावन के महीने में बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा का महत्व क्या है?
सावन के महीने में बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा अत्यंत पुण्यदायी मानी जाती है। इस दौरान भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
देवघर में कौन–कौन से दर्शनीय स्थल है?
देवघर में बाबा बैद्यनाथ धाम के अलावा कई अन्य धार्मिक और पर्यटन स्थल हैं, जैसे कि नौलखा मंदिर, शिवगंगा, त्रिकूट पर्वत और तपोवन आदि।