Neelkanth mahadev mandir History in Hindi

Neelkanth mahadev mandir

नीलकंठ महादेव मंदिर उत्तराखंड के ऋषिकेश से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर उतराखंड के पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है, जो भगवान शिव को समर्पित है। समुद्र मंथन के दौरान संसार को बचाने के लिए भगवान शिव ने विष का पान किया था जिस कारण उनका कंठ नीला हो गया था तब से उनका नाम नीलकंठ पड़ गया।

नीलकंठ महादेव मंदिर प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है, चारों ओर घने जंगल, ऊँचे–ऊँचे पहाड़ और पवित्र नदियाँ बहती रहती है। शिवरात्रि और सावन महीने के दौरान विशेष रूप से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। नीलकंठ महादेव मंदिर का इतिहास और इसकी पौराणिक कथाएँ हिंदू धर्म ग्रंथो में मिलती है।

Neelkanth mahadev mandir
ऋषिकेश मंदिर


Neelkanth mahadev mandir की पौराणिक कथा


नीलकंठ महादेव मंदिर की पौराणिक कथा समुद्र मंथन जुड़ी हुवी है। समुद्र मंथन की घटना हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस कथा का उल्लेख पुराणों में मिलता है जिसमे भगवान शिव ने संसार को बचाने के लिए विष का सेवन कर लिया था। समुद्र मंथन की कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र का मंथन किया। इसके लिए उन्होंने मंदराचल पर्वत को मथानी और वासुकी नाग को रस्सी के रूप में प्रयोग किया।

जब समुद्र मंथन प्रारंभ हुवी, तो कई प्रकार के रत्न, औषधियां, और दिव्य चीज समुद्र से निकले। उसमे से एक अत्यंत घातक विष भी उत्पन्न हुआ। यह विष इतना प्रबल था कि इसके प्रभाव से समस्त सृष्टि नष्ट हो सकती थी। विष की तीव्रता और उसके घातक प्रभाव से सभी डरने लगे तब भगवान शिव ने उस विष को सेवन कर अपने गले में रख लिए जिस कारण उनका कंठ नीला पड़ गया तब से उनका नाम नीलकंठ महादेव पड़ गया।


Neelkanth mahadev mandir का निर्माण


माना जाता है कि नीलकंठ महादेव मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था। हालांकि, इसकी स्थापना की सटीक तिथि जानकारी नहीं है, लेकिन इसका उल्लेख पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। इस मंदिर का वर्तमान ढांचा आधुनिक काल में बनाया गया है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है, जो नीले कंठ के साथ आलौकिक और दिव्य है।


Neelkanth mahadev mandir का महत्व


नीलकंठ महादेव मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत उच्च है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। विशेष रूप से शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर का वातावरण अत्यंत पवित्र और शांति प्रदान करने वाला है।


Neelkanth mahadev mandir तक पहुँचने का मार्ग


नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग और पैदल मार्ग दोनों उपलब्ध हैं। ऋषिकेश से हर समय मंदिर जाने के लिए गाड़ी मिलती रहती है।


Neelkanth mahadev mandir यात्रा और धार्मिक अनुष्ठान


मंदिर में श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। यहां पर हर साल श्रावण मास में कांवर यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें भक्तजन गंगा जल लाकर भगवान शिव को अर्पित करते हैं।

निष्कर्ष


नीलकंठ महादेव मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का प्रतीक है। यहां की यात्रा हर भक्त को आध्यात्मिक शांति और मानसिक संतुष्टि प्रदान करती है। नीलकंठ महादेव का इतिहास और धार्मिक महत्त्व हमें भगवान शिव के करीब ले जाती है। हर हर महादेव

नीलकंठ महादेव मंदिर कहां स्थित है?

नीलकंठ महादेव मंदिर उत्तराखंड राज्य में ऋषिकेश से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

नीलकंठ महादेव मंदिर का पौराणिक महत्व क्या है?

यह मंदिर समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा हुवा है, जिसमें भगवान शिव ने संसार को बचाने के लिए विष का पान किया था, जिससे उनका कंठ नीला हो गया। इसी कारण उन्हें ‘नीलकंठ’ महादेव कहा गया।

नीलकंठ महादेव मंदिर कैसे पहुंचा जा सकता है?

ऋषिकेश से मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी या निजी वाहन का उपयोग किया जा सकता है। ऋषिकेश से मंदिर के लिए नियमित बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं।

क्या नीलकंठ महादेव मंदिर के पास रहने की सुविधा है?

हाँ, मंदिर के आसपास कई होटल और धर्मशालाएं उपलब्ध हैं जो तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए सुविधाजनक है।

नीलकंठ महादेव मंदिर का प्रमुख आकर्षण क्या है?

मंदिर का प्रमुख आकर्षण भगवान शिव की पौराणिक कथा, यहां का प्राकृतिक सौंदर्य, और शिवरात्रि एवं श्रावण मास के दौरान होने वाले विशेष अनुष्ठान हैं।

क्या नीलकंठ महादेव मंदिर के आसपास भोजन की व्यवस्था है?

हां, मंदिर परिसर के आसपास कई स्थानीय भोजनालय और ढाबे हैं जहाँ श्रद्धालु शाकाहारी भोजन का आनंद ले सकते हैं।

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