Tarapith temple history in Hindi

तारापीठ मंदिर का इतिहास ( Tarapith temple history in Hindi )

जय मां तारा
तारापीठ मंदिर पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर जगत जननी मां तारा को समर्पित है। यहां सालों भर श्रद्धालु पहुंचते रहते हैं। इस स्थल की मान्यता एक जाग्रत शक्ति पीठ एवं तंत्रपीठ के रूप में होती है। तारापीठ मंदिर अपनी आध्यात्मिक और तांत्रिक महत्ता के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है।

मां तारा को देवी महाकाली का रूप मानी जाती हैं। मां तारा सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य-आरोग्य व ज्ञान-साधना की देवी कही जाती हैं। तारापीठ मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है,जिसका विवरण हमारे पौराणिक धर्मग्रंथों में मिलता है। माना जाता है कि यहां देवी सती के नेत्र गिरे थे, जिसके कारण इस स्थान को शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाने लगा और तारापीठ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

Tarapith temple history in Hindi
जय मां तारा

Tarapith temple history in Hindi


तारापीठ मंदिर तांत्रिक साधनाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। यह स्थान तांत्रिक साधनाओं का एक प्रमुख केंद्र है। यहां दूर दूर से साधक तांत्रिक क्रियाएं और पूजा-पाठ  करने के लिए आते है। मां तारा के दर्शन मात्र से भक्तों को अपार शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

भक्तो का मानना है की देवी तारा हर मनोकामना पूर्ण करती हैं और उन्हें जीवन के सभी कष्टों से मुक्त करती हैं। तारापीठ मंदिर का संबंध महान तांत्रिक संत बामाखेपा से भी है, जिन्हें तारा मां का परम् भक्त माना जाता है। उन्होंने यहां पर अपनी भक्ति से मां को अपने हाथों से भोजन कराते थे। संत बामाखेपा की अनेक चमत्कारिक कहानियाँ हमारे पौराणिक धर्म ग्रंथो में मिलती है। तारापीठ मंदिर में देश विदेश से प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त आते रहते हैं ।

भाद्र अमावस्या के दिन यहां पर विशेष पूजा-अर्चना होती है। इस दिन तांत्रिक साधक अपनी अपनी साधना के लिए यहां एकत्रित होते हैं। इस दिन यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है। इसके अलावा नवरात्रि, काली पूजा, और दीपावली जैसे त्यौहारों पर भी यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।


तारापीठ मंदिर पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन रामपुरहाट है जो मंदिर से मात्र आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्टेशन से टैक्सी या ऑटो रिक्शा द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। तारापीठ में कई धर्मशालाएं और होटल भी उपलब्ध हैं, जहां भक्त ठहर सकते हैं।

तारापीठ मंदिर अपनी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता के कारण लाखों भक्तो श्रद्धालुओं का केंद्र बना हुआ है। मां तारा की कृपा पाने और आध्यात्मिक शांति की पाने के लिए भक्त यहां आते रहते हैं। इस पवित्र स्थल का दर्शन करके न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि मां की अनुकंपा से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता निश्चित प्राप्त होती है।
जय मां तारा

Tarapith temple history in Hindi

Tarapith temple history in Hindi

Tarapith temple history in Hindi

तारापीठ मंदिर कहां स्थित है?

तारापीठ मंदिर पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में रामपुरहाट के पास स्थित है।

तारापीठ मंदिर का स्थापना कब हुआ था?

तारापीठ मंदिर की स्थापना प्राचीन काल से है जिसका विवरण हमारे पौराणिक धर्म ग्रंथो में मिलताहै।

तारापीठ मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?

तारापीठ मंदिर मां तारा को समर्पित है, जो देवी महाकाली का एक रूप मानी जाती हैं। यह मंदिर शक्तिपीठों में से एक है। यहां देवी सती के नेत्र गिरे थे।

तारापीठ मंदिर क्यों पसिद्ध है?

तारापीठ मंदिर तांत्रिक साधनाओं के लिए विश्वप्रसिद्ध है।

तारापीठ मंदिर में किसकी पूजा होती है?

तारापीठ मंदिर में मां तारा की पूजा की जाती है जो महाकाली का रूप है।

तारापीठ मंदिर कैसे पहुंचा जा सकता है?

तारापीठ का निकटतम रेलवे स्टेशन रामपुरहाट है, जो तारापीठ मंदिर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से टैक्सी या ऑटो रिक्शा द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

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