श्रीमद् देवी भागवत का पहला श्लोक
देवी भागवत एक प्रमुख पुराण है, जो देवी महात्म्य और देवी उपासना के महत्व को दर्शाता है। देवी भागवत पुराण में देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती और अन्य देवियों की महिमा का वर्णन किया गया है। इसमें 12 स्कंध (भाग) और 18,000 श्लोक हैं, जो देवी की विविध कथाओं और उपदेशों से भरे हुए हैं। इस पुराण का मुख्य उद्देश्य देवी की आराधना और उनकी शक्तियों का विस्तार से वर्णन करना है।
देवी भागवत का पहला श्लोक है:—
श्री देव्यै नमः
ॐ श्री भगवत्यै नमः

सृष्टौ या सर्गरूपा जगदवनविधौ पालिनी या च रौद्री संहारे चापि यस्या जगदीदंखीलं क्रीडनं गा या पराख्या ।
पश्यन्ती मध्यमाथो तदनु भगवती वैखरी वर्णरूपा सास्मद्वाचम प्रसन्ना विधिहरिगिरिशाराधीतालंककरोतु।।
नारायणम नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम ।
देवी सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत ।।
जो सृष्टि कल में सर्गशक्ति, स्थितिकाल में पालनशक्ति तथा संहारकाल में रुद्र शक्ति के रूप में रहती है। चराचर जगत जिनके मनोरंजन की सामग्री है; परा, पश्यंति, मध्यमा एवं वैखरी वाणी के रूप में जो विराजमान रहती है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर के द्वारा जो आधारित है,।
वे भगवती आद्यशक्ति हमारी वाणी को सुशोभित करें। भगवान नारायण, नरश्रेष्ठ अर्जुन, भगवती सरस्वती एवं महाभाग व्यासजी को प्रणाम करके इस देवी भागवत नामक विजय गाथा का उच्चारण करना चाहिए।
जय माता दी ।
देवी भागवत में कितने श्लोक है ?
देवी भागवत में12 स्कंध (भाग) और 18,000 श्लोक हैं, जो देवी की विविध कथाओं और उपदेशों से भरे हुए हैं।
देवी भागवत में किस देवी का वर्णन किया गया है?
देवी भागवत पुराण में देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी, और देवी सरस्वती की महिमा का वर्णन किया गया है